देश भर के लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए आज का दिन बहुत खुशी का दिन बन गया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने ओल्ड पेंशन स्कीम यानी पुरानी पेंशन योजना को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। लंबे समय से कर्मचारी इस फैसले का इंतजार कर रहे थे और आखिरकार अब उनकी मांग पूरी होती दिखाई दे रही है। इस फैसले के बाद कई राज्यों के कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है और लोगों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है।
पुरानी पेंशन योजना क्या है
पुरानी पेंशन योजना यानी ओल्ड पेंशन स्कीम एक ऐसी व्यवस्था थी जिसमें सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद हर महीने तय राशि के रूप में पेंशन दी जाती थी। यह योजना 2004 से पहले लागू थी और इस दौरान कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद उनकी अंतिम सैलरी के लगभग साठ प्रतिशत के बराबर पेंशन दी जाती थी। साथ ही कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके परिवार को भी पेंशन मिलती रहती थी जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत बनी रहती थी।
नई पेंशन योजना और पुरानी पेंशन योजना में क्या अंतर हैं
2004 के बाद सरकार ने नई पेंशन योजना यानी एनपीएस लागू की थी जिसमें पेंशन की रकम मार्केट निवेश पर निर्भर करने लगी। इससे कर्मचारियों को निश्चित राशि की गारंटी नहीं रही और भविष्य की सुरक्षा को लेकर असुरक्षा बढ़ गई। कई बार कर्मचारी संगठनों ने इसका विरोध किया और पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल करने की मांग की।
राज्यों में ओल्ड पेंशन स्कीम की स्थिति
पहले से ही कई राज्यों जैसे राजस्थान छत्तीसगढ़ झारखंड और पंजाब में पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल किया जा चुका है। वहीं अब केंद्र सरकार भी इस दिशा में विचार कर रही है ताकि देश के सभी कर्मचारियों को समान लाभ मिल सके। उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में बाकी राज्यों में भी ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
कर्मचारियों के लिए यह फैसला क्यों जरूरी था
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि नई पेंशन योजना में रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि मार्केट की स्थिति पर निर्भर करती है जिससे भविष्य में असुरक्षा बनी रहती है। वहीं ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारी को निश्चित राशि मिलती है जिससे उसका बुढ़ापा सुरक्षित रहता है और परिवार को आर्थिक सहारा मिलता है। यही कारण है कि यह फैसला कर्मचारियों के लिए राहत की सांस लेकर आया है।